
संभल जिले के थाना नखासा क्षेत्र के मोहल्ला दीपा सराय में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर्रहमान बर्क के लिए मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। उनके मकान के एक हिस्से को अवैध घोषित कर उसे हटाने का आदेश एसडीएम कोर्ट ने दिया है। इस मामले की सुनवाई करीब आठ महीने चली और 5 दिसंबर 2023 को सांसद बर्क को पहले नोटिस भी दिया गया था। इसके बाद भी कोई सुधारात्मक कदम उठाने में देर होने पर कोर्ट ने मंगलवार को 30 दिन के अंदर अवैध निर्माण हटाने का निर्देश जारी किया है।
इस आदेश के मुताबिक सांसद के मकान का वह हिस्सा जिसे बिना नक्शा पास कराए बनाया गया है, उसकी लंबाई 14 मीटर और गहराई 1 मीटर है। कुल मिलाकर करीब 150 वर्ग फीट का यह हिस्सा नीचे के फ्लोर में बने हॉल का अगला हिस्सा है और ऊपर की मंजिल में भी इसी हॉल का हिस्सा शामिल है। यदि सांसद इस अवधि के भीतर इस अवैध हिस्से को नहीं हटाते हैं तो प्रशासन बुलडोजर की सहायता से इसका विधिवत तोड़-फोड़ करेगा। इसके अतिरिक्त सांसद पर धारा-9 के तहत 1.35 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।
मकान का निर्माण उनके दादा पूर्व सांसद डॉ. शफीकुर्रहमान बर्क के समय से चल रहा है और इसे “बर्क मंजिल” नाम दिया गया है। मकान की यह दो मंजिला इमारत अभी आंशिकत: पूरी हुई है जिसमें नीचे हॉल तैयार है जबकि ऊपर मंजिल का स्ट्रक्चर निर्माणाधीन है। क़ानूनी नियमों का उल्लंघन करते हुए बिना नक्शा पास कराए मकान का यह निर्माण मामला बन गया है। सांसद ने अब तक संशोधित नक्शा भी जमा नहीं किया है, वहीं कई बार नोटिस मिलने के बाद भी कार्रवाई नहीं की।
एसडीएम विकास चंद्र ने स्पष्ट किया है कि कोई भी व्यक्ति चाहे वह विधायक या सांसद हो, कानून से ऊपर नहीं है। इसमें किसी को भी इस बात की छूट नहीं दी जाएगी कि वह नियमों का उल्लंघन करके मकान बनवा सके। एसडीएम के अनुसार कानून के अनुसार अनुचित निर्माण के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी और यह आदेश सभी के लिए संदेश है कि नियमों का पालन सबको करना होगा।
इस केस की शुरुआत दिसंबर 2023 में हुई थी, जब उपजिलाधिकारी ने स्वयं संज्ञान लेकर मामले की छानबीन की और सांसद को नोटिस जारी किया। शुरुआत में सांसद पर 500 और 1000 रुपये के जुर्माने भी लगाए गए थे, लेकिन सांसद द्वारा मामला सुलझाने या संशोधित नक्शा जमा करने में कोई प्रयास न होने से कोर्ट ने अंतिम आदेश जारी किया है। अब 30 दिनों के अंदर जो बिना अनुमति का निर्माण हिस्सा है, उसे हटाना अनिवार्य है।
यह मामला न केवल एक व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई है, बल्कि यह संपत्ति निर्माण के लिए मंजूरी और कागजी कार्रवाई की महत्ता पर भी उदाहरण प्रस्तुत करता है। क्षेत्रवासियों की नजरें अब प्रशासन की आगामी कार्रवाई पर टिकी हुई हैं कि वह किस तरह इस आदेश को क्रियान्वित करता है। साथ ही इस निर्णय से यह भी संदेश जाता है कि भ्रष्टाचार या नियमों की अनदेखी पर प्रशासन सख्त रूख अपना रहा है।
संभल जिले में ऐसे कई मकान निर्माण होते हैं जो बिना नक्शा या कानूनी मंजूरी के बनते हैं। ऐसे मामलों में यदि प्रशासन ने कदम नहीं उठाया तो विकास कार्य बाधित होता है और योजना के क्रियान्वयन में भी अड़चनें आती हैं। इसलिए इस प्रकार के क़ानूनी आदेशों से मकान मालिकों को कानूनी प्रक्रिया का पालन करना होगा और सभी जरूरतों को पूरा कराना होगा।
अभी जो विवाद चल रहा है, वह सांसद के लिए नौबत काट सकता है। क्योंकि किसी भी नेता की प्रतिष्ठा के लिहाज से अवैध निर्माण का आरोप गंभीर माना जाता है। यदि आदेश का पालन न हुआ तो न केवल जुर्माना बढ़ सकता है, बल्कि कानूनी कार्रवाई में भी कठोरता आ सकती है।
यह उदाहरण दिखाता है कि कानून सबके लिए समान है और किसी के लिए भी अपवाद नहीं है। संभल प्रशासन भी इस मामले में पूरी सख्ती बरत रहा है ताकि भविष्य में ऐसी किसी भी अनियमितता को रोका जा सके।
इस पूरे मामले से एक बात साफ है कि संपत्ति निर्माण के नियमों का पालन करना न केवल आवश्यक है बल्कि इससे कानूनी झंझटों से भी बचा जा सकता है। सांसद बर्क को अब बदलते समय के अनुसार कानून के दायरे में आकर उचित व्यवहार करना होगा अन्यथा प्रशासन को भी कार्रवाई करने में संकोच नहीं होगा।
इस पूरे घटनाक्रम से इलाके में प्रशासनिक कार्रवाई की छवि मजबूत होने वाली है और सभी नागरिकों को संदेश जाता है कि नियमों की अवहेलना बर्दाश्त नहीं की जाएगी। जनता भी प्रशासन के इस कदम की सराहना कर रही है और उम्मीद कर रही है कि आगे भी सभी मामलों में ईमानदारी से नियमों का पालन कराया जाएगा।