
अमरोहा जिले के रजबपुर थाना क्षेत्र से एक ऐसी वारदात सामने आई है, जिसने हर किसी को अंदर तक हिला दिया। गांव की एक छह साल की बच्ची को उसके ही चचेरे भाई कृष्ण ने अपनी हवस का शिकार बना डाला। बच्ची की हालत फिलहाल गंभीर है और उसका इलाज अस्पताल में चल रहा है।
खेत में मिली बेहोश बच्ची
शनिवार दोपहर मासूम अपने घर के बाहर खेल रही थी। इसी दौरान आरोपी कृष्ण उसे बहला-फुसला कर पास के खेतों की ओर ले गया। जहां उसने बच्ची के साथ दरिंदगी की। इस कृत्य के बाद बच्ची बेहोश होकर वहीं गिर पड़ी।
उधर, खेत में काम कर रही कृष्ण की दूसरी चाची और गांव की कुछ महिलाएं जब उसे खेत से निकलते हुए देखती हैं, तो उन्हें शक हुआ। महिलाएं अंदर खेत की ओर गईं तो दृश्य देख उनके पैरों तले ज़मीन खिसक गई — मासूम बच्ची बेहोश हालत में पड़ी थी।
अस्पताल में भर्ती, हालत नाजुक
महिलाओं ने फौरन बच्ची को उठाया और घर ले जाकर परिजनों को सूचना दी। परिजन उसे तुरंत अस्पताल ले गए। अधिक रक्तस्राव और गंभीर चोटों के चलते उसकी हालत नाजुक बनी हुई है।
पुलिस की तुरंत कार्रवाई
परिवार से शिकायत मिलते ही पुलिस हरकत में आ गई। एसपी अमित कुमार आनंद ने रात में ही घटनास्थल का निरीक्षण किया और परिजनों से मुलाकात की। फोरेंसिक टीम को मौके पर भेजकर साक्ष्य जुटाए गए।
थोड़ी ही देर में पुलिस ने आरोपी कृष्ण को गिरफ्तार कर लिया और अदालत में पेश किया, जहाँ से उसे जेल भेज दिया गया।
क्षेत्र में आक्रोश और चिंता
इस जघन्य अपराध ने न केवल पीड़ित परिवार बल्कि पूरे इलाके को आक्रोश में भर दिया है। ग्रामीणों का कहना है कि ऐसे अपराधियों को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए ताकि दोबारा कोई मासूम निशाना न बन सके।
स्थानीय सामाजिक संगठन और बाल अधिकार से जुड़े लोग भी इस घटना पर गहरी चिंता जता रहे हैं और बच्चों की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने की मांग कर रहे हैं।
पीड़ित परिवार का दर्द
परिवार के लोग सदमे में हैं। मां-बाप दिन-रात अस्पताल में बच्ची के पास हैं। परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने खेत में बच्ची को बेहोश देखा तो वे अंदर से टूट गए। उन्होंने मांग की है कि आरोपी को जल्द से जल्द सजा दिलाई जाए।
बच्चों की सुरक्षा समाज की जिम्मेदारी
यह घटना एक बार फिर हमें सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा सबसे बड़ी प्राथमिकता होनी चाहिए। ऐसे अपराधों को रोकने के लिए परिवार, समाज और प्रशासन — सभी को मिलकर कदम उठाने होंगे।
सख्त कानून, त्वरित न्याय और बच्चों के प्रति जागरूकता ही ऐसे अपराधों पर रोक लगा सकती है।